उदर की पीड़ा की आयुर्वेदिक चिकित्सा
उदर की पीड़ा के अनेक प्रकार होते हैं, जैसे कि गैस की समस्या, जलन का
एहसास, लंबे समय से चल रही उदर की पीड़ा इत्यादि । कई बार उदर की पीड़ा
दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पीने से होती है। इसके अलावा उदर की
पीड़ा, तपेदिक, पथरी, अंतड़ियों में गतिरोध, संक्रमण, कैंसर और अन्य रोगों
के कारण भी होती है। देखा जाये तो उदर की मांसपेशियों में पीड़ा होती है,
लेकिन समझा यह जाता है की पीड़ा उदर में है।
उदर में अल्सर या छाले
अगर उदर की पीड़ा उदर में हुए अल्सर या छालों की वजह से है तो निम्नलिखित उपचार पीड़ा को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं:
मोती पिस्ती, अयुसिड, अविपत्रिकर चूर्ण, ऐसीं जड़ी बूटियाँ होती हैं जो
उदर के अस्तर की मरम्मत करने में मदद करती हैं। यह उदर की मांसपेशियों की
पीड़ा कम करने में मदद करती हैं और रोगी को अपने शारीरिक बल को वापस पाने
में भी मदद करती हैं।
उदर की पीड़ा के संकेत और लक्षण
उदर की पीड़ा के आम लक्षण हैं: पेचिश, रक्त के साथ पेचिश, अनियमित
दिनचर्या, कब्ज़ियत, अपचन, गैस, भूख न लगना, पेट में तकलीफ और जलन का
एहसास, उल्टियाँ, पेशाब और सीने में जलन, एसिडिटी, पीलिया और अनियमित
मासिक धर्म।
उदर की पीड़ा के अन्य उपचार
रोगी को
बिना किसी बाधा के मलत्याग होना चाहिए। 24 घंटों में कम से कम एक बार मल का
त्याग ज़रूरी है। लेकिन अगर मलत्याग में पेशानी होती है और कब्ज़ियत की
शिकायत रहती है तो एक कप गुनगुने दूध में २ चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर,रात
को सोने से पहले पीने से काफी लाभ मिलता है।
अगर पीड़ा का कारण गैस या एसिडिटी हैं, तो मट्ठा या छाँछ पीने से तुरंत राहत मिलती है।
50 मिलीलीटर गुनगुने पानी में दो चम्मच नींबू का रस और 1 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीने से भी काफी आराम मिलता है।
गुनगुने पानी के साथ अजवाइन लेने से भी उदर की पीड़ा से काफी आराम
मिलता है। इसमें अगर बराबर मात्रा में सेंधा या सादा नमक मिलाया जाये तो यह
ज़्यादा असरदार होता है।
एक चम्मच अदरक के रस के साथ एक चम्मच
अरंडी का तेल गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से भी उदर की पीड़ा कम होती है।
इसे दिन में दो बार लिया जा सकता है।
एक चुटकी हिंग पाउडर को पानी
में मिलाकर उसका लेप बना लें और अपनी नाभि पर मल कर 25 या 30 मिनट के लिये
लेट जाएँ। इससे आपके उदर में बनी गैस के निष्काशन में सहायता मिलेगी और
आपको काफी राहत भी महसूस होगी।
एक चम्मच पुदीने का रस एक कप पानी
में मिलाकर पीयें। इससे भी आपको उदर की पीड़ा में काफी राहत मिलेगी।
हालांकि इस मिश्रण का स्वाद जायकेदार नहीं होता, लेकिन इसके सेवन से तुरंत
आराम मिलता है।
आहार और खान पान
उदर की
पीड़ा के दिनों में ऐसे खान पान का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पचाया जा
सके। चावल, दही या छाँछ (मट्ठा) , खिचड़ी, वगैरह का सेवन बहुत लाभकारी होता
है। सब्ज़ियों के सूप, और फलों के रस और अंगूर, पपीता , संतरे जैसे फलों
के सेवन से भी उदर की पीड़ा कम हो जाती है।
तले हुए और मसालेदार
खान पान का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। खाना खाने के बाद रोगी को किसी
भी प्रकार की गतविधि में शामिल नहीं होना चाहिए। रोगी को चिंता, तनाव,
क्रोध को त्याग देना चाहिए और तनावमुक्त होकर रहना चाहिए।
निम्बू
पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। शराब का सेवन कम से कम करें या
बिल्कुल न करें। जब तक पेट दर्द पूरी तरह से ठीक न हो जाये तब तक शराब का
सेवन एकदम से बंद कर दें।
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