बवासीर (पाईल्स); कारण, बचाव एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा
बवासीर गुदा (मलद्वार) में होने वाली एक सामान्य बीमारी है, जिसमें मलत्याग के समय रक्तस्राव तथा मस्से फूलने की समस्या होती है. इसे पाईल्स या हेमोराइड्स भी कहते हैं। आयुर्वेद में इसे अर्श कहते हैं। यह बीमारी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में कुछ ज्यादा होती है।प्रमुख कारणः बवासीर का प्रमुख कारण पेट की खराबी व पाचन तन्त्र का कमजोर होना है। इसके अतिरिक्त कारण निम्न हैं ;
- लम्बे समय तक कब्ज रहना
- मलत्याग के समय जोर लगाना
- टॉयलेट में काफी देर तक बैठना
- हेरिडिटि (वन्शानुगत कारण)
- अतिसार (दस्त)
- मलत्याग के समय रक्तस्राव - सामान्यतः ताजा रक्त बूंदों या धार के रूप में निकलता है, जो दर्द रहित होता है। परन्तु जब बवासीर के साथ फिशर (गुद्चीर) भी होता है, तो रक्तस्राव के साथ दर्द भी हो सकता है।
- मलत्याग के समय मस्सों का बाहर निकलना - रोगी जब टॉयलेट में बैठकर जोर लगाता है, तो मस्से बाहर आ जाते हैं व जब जोर हटाता है तो मस्से अन्दर चले जाते हैं। कभी कभी जब बवासीर पुरानी हो जाती है तो मस्सों को अन्दर करने के लिये उंगली का सहारा देना पड्ता है।
- म्यूकस का निकलना - कभी कभी मस्सों के स्थान पर श्लैष्मिक द्रव का स्राव भी हो सकता है।
- भोजन सम्बन्धी आदतों में बदलाव – रेशेदार सब्जियों, सलाद व फलों का नित्य सेवन करें, तेज मिर्च, मसालों का प्रयोग ना करें। पानी ४-६ लीटर प्रतिदिन पियें। चाय, कॉफी का कम प्रयोग करें। इससे पेट ठीक रहेगा व कब्ज नहीं होगी।
- मलत्याग के समय ज्यादा जोर ना लगायें।
- यदि कब्ज हो तो रात में दूध के साथ मुनक्का व १-२ चम्मच इसबगोल की भूसी लें।
- यदि कोई समस्या हो तो किसी क्वालीफाईड आयुर्वेद फिजीशियन या क्षारसूत्र विशेषज्ञ से मिलकर सलाह अवश्य लें।
लेखकः डॉ० नवीन चौहान
आयुर्वेद फिजीशियन व क्षारसूत्र विशेषज्ञ
श्री धन्वन्तरि क्लीनिक, गाजियाबाद (उ० प्र०)
For booking an appointment please e-mail at nchauhan.dr@gmail.com
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